Videsh Yog

Nov 13, 2021 | by Vaibhav Vyas

जन्म कुंडली में बहुत से शुभ – अशुभ योगो के साथ विदेश यात्रा के योग भी मौजूद होते हैं. जब अनुकूल ग्रहों की दशा/अन्तर्दशा कुंडली में चलती है तब व्यक्ति विदेश जाता है| वर्तमान समय में विदेश जाना सम्मान की बात भी समझी जाने लगी है और अधिक पैसे की चाहत में भी लोग विदेश यात्रा करने लगे हैं| बहुत बार व्यक्ति विदेश जाने की इच्छा तो रखता है लेकिन जा नहीं पाता है| आइए उन योगों के बारे में जाने जिनके आधार पर यह कहा जा सकता है कि इस कुंडली में “विदेश जाने के योग” बनते हैं| उसके बाद उन दशाओं की भी बात करेगें, जिनकी दशा में व्यक्ति विदेश जा सकता है|

कुंडली के अनुसार विदेश यात्रा के योग

अगर आप अपनी विदेश यात्रा के योग के बारे में जानना चाहते है तो अपनी कुंडली उठाये और मिलान करे बस आपको कुंडली देखने का एवं ग्रहों की दशा का ज्ञान होना आवश्यक है –

  • जन्म कुंडली में सूर्य लग्न में स्थित हो तब व्यक्ति विदेश यात्रा करने की संभावना रखता है|
  • कुंडली में बुध आठवें भाव में स्थित हो|
  • कुंडली में शनि बारहवें भाव में स्थित हो तब भी विदेश यात्रा के योग बनते हैं|
  • लग्नेश बारहवें भाव में स्थित है तब भी विदेश यात्रा के योग बनते हैं|
  • जन्म कुंडली में दशमेश और उसका नवांशेश दोनो ही चर राशियों में स्थित हो|
  • लग्नेश, कुंडली में सप्तम भाव में चर राशि में स्थित हो तब भी विदेश यात्रा के योग बनते हैं|
  • दशमेश, नवम भाव में चर राशि में स्थित हो तब भी विदेश यात्रा के योग बनते हैं|
  • सप्तमेश अगर नवम भाव में स्थित है तब भी व्यक्ति विदेश जा सकता है|
  • कुंडली में बृहस्पति चतुर्थ, छठे, आठवें या बारहवें भाव में स्थित है तब भी विदेश यात्रा के योग होते है|
  • द्वादशेश और नवमेश में राशि परिवर्तन होने से भी व्यक्ति विदेश यात्रा करता है|
  • जन्म कुंडली में बारहवाँ भाव या उसका स्वामी अष्टमेश से दृष्ट हो|
  • कुंडली में चंद्रमा ग्यारहवें या बारहवें भाव में स्थित हो तब भी विदेश यात्रा के योग बनते हैं|
  • शुक्र जन्म कुंडली के छठे, सातवें या आठवें भाव में स्थित हो|
  • राहु कुंडली के पहले, सातवें या आठवें भाव में स्थित हो|
  • छठे भाव का स्वामी कुंडली में बारहवें भाव में स्थित हो|
  • दशम भाव व दशमेश दोनो ही चर राशियों में स्थित हों|
  • लग्नेश और चंद्र राशिश दोनो ही चर राशियों में स्थित हो तब भी व्यक्ति विदेश यात्रा करता है|
  • बारहवें भाव का स्वामी नवम भाव में स्थित होने पर भी विदेश यात्रा होती है|
  • लग्नेश और नवमेश दोनो में आपस में राशि परिवर्तन होने पर भी विदेश यात्रा होती है|
  • नवमेश व द्वादशेश दोनो ही चर राशियों में स्थित हो तब भी व्यक्ति विदेश यात्रा करता है|
  • यदि कुंडली के चतुर्थ भाव में बारहवें भाव का स्वामी बैठा हो तब व्यक्ति विदेश में शिक्षा ग्रहण करता है|

विदेश यात्रा का समय –

  • जन्म कुंडली में यदि उच्च के सूर्य की दशा चल रही हो तब व्यक्ति के विदेश जाने के योग बनते हैं|
  • यदि उच्च के चंद्रमा या उच्च के ही मंगल की भी दशा चल रही हो तब भी व्यक्ति विदेश यात्रा करता|
  • उच्च के बृहस्पति की दशा में भी व्यक्ति की विदेश यात्रा होती है|
  • यदि मंगल बली होकर लग्न में स्थित है या सूर्य से संबंधित है तब मंगल की दशा में भी विदेश यात्रा होने की संभावना बनती है|
  • कुंडली में यदि नीच के बुध की दशा चल रही है तब भी विदेश यात्रा हो सकती है|
  • बृहस्पति की दशा चल रही हो और वह सातवें या बारहवें भाव में चर राशि में स्थित हो|
  • शुक्र की दशा चल रही हो और वह एक पाप ग्रह के साथ सप्तम भाव में स्थित हो|
  • शनि की दशा चल रही हो और शनि बारहवें भाव में या उच्च नवांश में स्थित हो|
  • राहु की दशा कुंडली में चल रही हो और राहु कुंडली में तीसरे, सातवें, नवम या दशम भाव में स्थित हो|
  • जन्म कुंडली में सूर्य की महादशा में केतु की अन्तर्दशा चल रही हो तब भी विदेश जाने की संभावना बनती है|
  • यदि केतु की महादशा में सूर्य की अन्तर्दशा चल रही हो और कुंडली में सूर्य, केतु से छठे, आठवें या बारहवें भाव में स्थित हो|
  • केतु की महादशा में चंद्रमा की अन्तर्दशा चल रही हो और केतु से चंद्रमा केन्द्र/त्रिकोण या ग्यारहवें भाव में स्थित हो|
  • कुंडली में शुक्र की महादशा में बृहस्पति की अन्तर्दशा चल रही हो तब भी विदेश यात्रा की संभावना बनती है|
  • कुंडली में राहु की महादशा में सूर्य की अन्तर्दशा चल रही हो और राहु से सूर्य केन्द्र/त्रिकोण या ग्यारहवें भाव का स्वामी हो|
  • शनि की महादशा में बृहस्पति की अन्तर्दशा चल रही हो और शनि से बृहस्पति केन्द्र/त्रिकोण या दूसरे या ग्यारहवें भाव का स्वामी हो|
  • बुध की महादशा में शनि की अन्तर्दशा चल रही हो और बुध से शनि छठे, आठवें, या बारहवें|

कुंडली देखना और ग्रहों की दशा जानना आसान कार्य नहीं है इसके सही संभावनाओं को जानने के लिए विशेषज्ञों की जरुरत होती है एवं कई बार ऐसा होता है की आपकी कुंडली में योग होते हुए भी आपको वो चीज नहीं मिल पाती| इसका कारन होता है आपकी राशि पर किसी गृह का प्रतिकूल होना| हमारे विशेषज्ञ एस्ट्रोलॉजर्स आपको सही जानकारी देंगे| वो आपको समाधान एवं उपाए भी बताएंगे जिनसे आपकी कुंडली के सरे शुभ आपको मिले|

RELAVANT BLOGS

You may also like

sun-transits-in-scorpio
Sun Transits in Scor...

Unlike Solar System, the sun is a planet and leader of all planets in astrology. The Sun is worshipped as a deity and offered water in Hinduism....

Nov 13, 2021 Article
raksha-bandhan
Raksha Bandhan

There's no stronger bond than and brother and sisters. They might fight on any given occasion or tease each other but when it comes to love and s...

Nov 13, 2021 Article
mars-transits-in-libra
Mars transits in Lib...

The planet Mars is the benefactor of courage, confidence, strength, etc. In the professional field, Mars especially signifies real estate, army,...

Nov 13, 2021 Article
buddh-poornima
Buddh Poornima

Buddha Purnima, also known as Buddha Jayanti is celebrated in honour of Gautam Buddha which marks the day of his Appearance. Purnima stands for t...

Nov 13, 2021 Article